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धर्म के आधार पर लोगों को विभाजित करने की कुत्सित राजनीति हमारे देश को घोर नुक्सान पहुंचा रही है. नागरिकों की कितनी ही ऊर्जा आपस के झगड़ों में नष्ट हो जाती है. अगर इस ऊर्जा का संचय किया जाय और उसे राष्ट्र निर्माण में लगाया जाय तब हमारे देश को विश्व का शिरमौर बनने में देर नहीं लगेगी.

India Against Corruption - A Jan Lokpal Bill has been designed which has strong measures to bring all corrupt people to book. Join the cause and fight to force politicians to implement this powerful bill as an act in the parliament.

Saturday, January 22, 2011

यह कैसा कानून है ??? यह कैसा निर्णय है ???

डी. डी. ए. भूमि
अतिक्रमण करना दंडनीय अपराध है


यह बोर्ड लगा है जंगपुरा में उस स्थान पर जहाँ अतिक्रमण करके एक अवैध मस्जिद बना दी गई थी. अदालत ने निर्णय दिया कि यह जमीन डीडीए की है.  अदालत ने डीडीए को आदेश दिया, मस्जिद को गिरा दो, अपनी जमीन वापस लो. डीडीए ने मस्जिद गिरा दी. अतिक्रमणकर्ता हिंसक हो उठे, कारों और बसों को नुकसान पहुँचाया. दिल्ली की मुख्य मंत्री और शाही ईमाम दंगाइयों के साथ खड़े हो गए. मुख्य मंत्री ने वचन दिया, मैं मस्जिद बनबाउंगी. मस्जिद नहीं थी पर फिर भी वहां नमाज पढने की इजाजत दी गई. जंगपुरा आरडब्लूए ने अदालत की मानहानि का मुकदमा दायर किया. अदालत अब तक नर्म पड़ चुकी थी. अदालत को इस में कोई अवमानना नजर नहीं आई. दो महीने तक डीडीए की जमीन पर १० अतिक्रमण करने वालों को नमाज पढ़ने की इजाजत दे दी गई. अदालत ने कहा इस समय में मामला निपटा लो.

हमारी कुछ समझ में नहीं आया. जमीन डीडीए की है. जमीन पर अतिक्रमण हुआ है, जो एक दंडनीय अपराध है, अदालत  के आदेश पर अतिक्रमण हटा दिया गया था, अदालत ने डीडीए को आदेश दिया था, अपनी जमीन अपने अधिकार में लो, जमीन के चारों तरफ दीवार बनाओ. डीडीए ने अदालत के आदेश का पालन किया. अब नमाज पढ़ने की इजाजत किस लिए? अब कौन सा मामला रह गया है जो निपटाया जाएगा? किसी को कोई दंड नहीं दिया गया. मुख्य मंत्री और ईमाम ने जो किया उसे अदालत की अवमानना ही नहीं माना गया. कारों और बसों को जो नुकसान पहुँचाया गया  उसकी भरपाई किसी से नहीं करवाई गई. 

यह कैसा कानून है? यह कैसा निर्णय है? क्या मुख्य मंत्री और ईमाम पर देश का कानून लागू नहीं होता? क्या एक धर्म विशेष के लोगों पर देश का कानून लागू नहीं होता? अगर डीडीए की जमीन पर अतिक्रमण करके एक मंदिर बना दिया जाता, हिन्दू धर्म के नाम पर तोड़-फोड़ की जाती, तब भी अदालत का निर्णय यही होता या कोई और?

Tuesday, January 18, 2011

A conspiracy against Hindus





Why only Hindus confess? RSS has asked a very relevant question that why only Hindus confess? It is really intriguing that Hindus arrested in connection with blasts are confessing. Their confessions are leaked to media and are being given wide publicity. Referring to these confessions, Congress and NCP have started demanding ban on RSS.

Muslims involved in many blasts across the country have not only been arrested but tried and convicted, but not even one one Muslim has confessed. Those convicted and jailed have also not confessed to their crimes. Even convicted terrorists like Kasab and Afzal are tight lipped. Investigatng agencies are same, but Hindus confess before them and Muslims do not.

It is surprising whether Govt and its investigating agencies really want to unearth the plot behind the terror attacks. It is mosr probably a conspiracy hatched by the Congress and its partners in the Govt to give bad name to Hindus and their organizations to please the Muslim vote bank.

Home minister is acting as a spokesman of the investigating agencies. Congress has appointed a senior leader to give daily statements bad mouthing Hindus and their organizations. Now its partners in the oivt have also joined this conspiracy.

Recently Delhi High Court has pulled up National Investigation Agency (NIA) for summoning brother of Malegon blast accused Sadhvi Pragya from Mumbai to Panchkula and then to Delhi for interrogation. Court has asked the investigating officer (IO) to reimburse travel expenses borne by Pragya's brother who resides in Mumbai and not in the jurisdiction of IO. NIS and Govt have been asked to reply by April 6.

Sunday, January 16, 2011

क्या अदालत इन्हें सजा देगी?

जंगपुरा की रेजिडेंट्स वेलफेयर असोसिएशन ने दिल्ली हाई कोर्ट में दिल्ली की मुख्य मंत्री और शाही ईमाम के खिलाफ अदालत की अवमानना का मुकदमा दाखिल किया है. दिल्ली हाई कोर्ट ने डीडीए को यह आदेश जारी किया था कि जंगपुरा में अवैध रूप से सरकारी जमीन पर बनाई गई मस्जिद को गिरा दिया जाय और उसके बाद अदालत के आदेश का पालन हो गया है, इसकी रिपोर्ट अदालत में दाखिल की जाय. इस आदेश की खुली अवहेलना करते हुए दिल्ली की मुख्य मंत्री ने दिल्ली के शाही ईमाम को वचन दिया कि वह इस टूटी मस्जिद को दुबारा बनबायेंगी. इसके साथ ही उन्होंने टूटी मस्जिद की जगह शुक्रवार को नमाज पढने की इजाजत दी. उनके आदेश की छत्रछाया में शाही ईमाम ने मुसलमानों का नेतृत्व करते हुए उस जगह नमाज पढ़ी. इसके लिए उन्होंने जामा मस्जिद में नमाज का नेतृत्व करने की अपनी परम्परा भी तोड़ दी. नमाज पढने के दौरान, कुछ मुसलमानों ने वहां एक दीवार बनानी शुरू कर दी, और शाम तक उस जगह को ईंटों की दीवार और टीन की शीटों से कवर कर दिया.

हाई कोर्ट ने अदालत की अवमानना की याचिका दाखिल कर ली है और उस पर सुनवाई के लिए सोमवार का दिन तय किया है. अब देखना यह है कि अदालत इन्हें कोई सजा देती है या नहीं? अगर सजा दी गई तब इस प्रकार के धर्म के नाम पर सरकारी जमीन पर कब्ज़ा करने से लोग हिचकिचाएंगे. अगर सजा नहीं दी गई तब और लोग भी ऐसे अनाधिकृत कब्जे करने के लिए उत्साहित होंगे.

भड़काऊ नेता वोट कमाने पहुंचे





दिल्ली हाई कोर्ट के आदेशानुसार डीडीए ने जंगपुरा में सरकारी जमीन पर गैरकानूनी तौर पर बनाई गई एक मस्जिद को गिरा दिया. इसका पता चलते ही दिल्ली की मुख्य मंत्री शाही ईमाम के पास दौड़ी हुई गईं और उन्हें वचन दिया कि वह मस्जिद को दुबारा बनबायेंगी. उनके आशीर्वाद और ईमाम के भड़काऊ भाषणों के बाद काफी लोग उस जगह पर शुक्रवार को नमाज पढने पहुंचे. खुद ईमाम भी जामा मस्जिद में नमाज न पढ़ कर जंगपुरा पहुंचे और उस जगह पर नमाज पढ़ी. पुलिस चुपचाप खड़ी देखती रही और कुछ लोग नमाज पढ़ते रहे और कुछ लोगों ने वहां दीवार बनानी शुरू कर दी. साथ की फोटो देखिये. वह जगह चारों तरफ से ईंटों और टीन की शीटों से घेर दी गई है.

उसके बाद समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह ईमाम के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंचे और मुस्लिम वोटों के लिए गिडगिडाए. उनके बाद नंबर था अमर सिंह और जयप्रदा का. अब मुस्लिम वोटों की दुल्हन किस के गले में वरमाला डालेगी?

इसी दिल्ली में पुष्प विहार में एक मंदिर भी गिरा दिया गया. वहां कोई नेता नहीं पहुंचा. ऐसा नहीं है कि हिन्दुओ ने कोई विरोध नहीं किया, उन्होंने शांति पूर्वक धरना दिया. वह सड़क पर भी पहुँच गए जिस के कारण एक घंटे तक यातायात में बाधा पड़ी. बस उन्होंने मुसलमानों की तरह प्राईवेट कारों और सरकारी बसों को तोडा-फोड़ा नहीं.

धर्म पर आधारित वोटों की गन्दी राजनीति करने वाली कांग्रेस और अन्य तथाकथित सेकुलर पार्टियों ने इस देश को घोर हानि पहुंचाई है और लगातार पहुंचा रही हैं.

Saturday, January 15, 2011

मंदिर तोड़ दिया गया

किसी हिन्दू ने कोई झगड़ा नहीं किया. किसी ने सरकारी बसों पर पथराव नहीं किया, सिर्फ शांतिपूर्वक धरना दिया. फिर भी यह घटिया राजनीतिबाज और इनकी सरकार कहती हैं कि हिन्दू धर्मांध हैं, आतंकवादी हैं, देश को तोडना चाहते हैं.
मंदिर टूटने पर हिन्दू शांत रहे, मुसलमानों की तरह कारों और बसों पर पथराव नहीं किया, इस लिए कोई नहीं आया यह कहने कि मंदिर फिर बनेगा, किसी ने कोई वचन नहीं दिया कि फिर से मंदिर बनाया जाएगा.
कुछ मुस्लिम वोटों के लिए यह धर्मांध नेता और सरकार हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं पर हर समय आघात करते रहते हैं. कब तक हिन्दू यह सहन करते रहेंगे?

चोरी और सीनाजोरी














तस्वीरें खुद बोलती है.
सरकारी जमीन पर डीडीए का बोर्ड लगा है. कुछ लोग उसे ही उखाड़ने लगे.
कुछ लोगों ने सरकारी बसों को नुक्सान पहुँचाया. कौन देगा इस नुक्सान का जुर्माना?
सरकार ने नमाज पढने की इजाजत दी तो कुछ लोग दीवार बनाने लगे.
गुंडई के सामने झुक गई सरकार, क्या करे वोट चाहियें.

सरकारी जमीन पर गैरकानूनी धर्म स्थल

भ्रष्ट सरकारें और राजनीतिबाज वोट लेने के लिए किस तरह सरकारी जमीन पर मस्जिद और मंदिर बनबाते हैं इसका एक उदहारण कल दिल्ली में दिखाई दिया. विवरण के लिए साथ की फोटो पर क्लिक करें.

दिल्ली सरकार की मुख्य मंत्री दौड़ी हुई ईमाम बुखारी के पास गईं और उन्हें वचन दिया कि गैरकानूनी मस्जिद को वह फिर से बनबायेंगी. उनका यह वचन दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश का खुला उल्लंघन है जिस में कोर्ट ने डीडीए को इस गैरकानूनी मस्जिद को गिराने का आदेश दिया था और उस आदेश का पालन हो गया, यह रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करने को कहा था. ख़बरों में यह भी कहा गया है की भारत के गृह मंत्री चिदंबरम और शहरी विकास मंत्री जयपाल रेड्डी ने भी इमाम को यह वचन दिया है. इस का अर्थ यह हुआ कि दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार दोनों चंद मुस्लिम वोटों के लिए देश के कानून और अदालत के आदेश को कोई महत्त्व नहीं देतीं. मुस्लिम वोटों के लिए वह कोई भी गलत काम करने के लिए तैयार हैं.

कांग्रेस के बाद ईमाम के दरबार में समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह पेश हुए. उन्होंने भी गैरकानूनी मस्जिद को बनबाने का वचन दिया. अब देखना यह है कि इमाम के कहने पर मुस्लिम मतदाता किस के गले में वरमाला पहनाते हैं, कांग्रेस के या समाजवादी पार्टी के?

जब यह नेता और सरकारें ईमाम के दरबार में हाजिरी बजा रहे थे तब कांग्रेस सरकार पुष्प विहार में एक मंदिर को गिरा रही थी. ख़बरों के अनुसार यह मंदिर भी गैरकानूनी तौर पर सरकारी जमीन पर बना हुआ था पर इसे गिराने का आदेश अदालत से नहीं मिला था, बल्कि वह एक सरकारी धार्मिक समिति ने दिल्ली के राज्यपाल की सहमति से दिया था. मंदिर फिर से बनबाने के लिए न तो दिल्ली की मुख्य मंत्री और न केन्द्रीय मंत्री और न ही मुलायम किसी पुजारी के दरबार में हाजिर हुए और कोई वचन दिया.

सरकार धर्म निरपेक्ष हैं, पर मस्जिद और मंदिर पर उनकी नीति अलग है. कांग्रेस और मुलायम का यह नंगापन किसी वुद्धिजीवी को नजर नहीं आता. उन्हें तो बस बीजेपी और हिन्दू ही धर्मांध नजर आते हैं. कब तक चलेगा यह सब? कब तक वर्दाश्त करेंगे हिन्दू कांग्रेस के इस दोगलेपन को?

समाचार पत्रों क्या लिखा है:
'फिर से बनाई जाएगी ढहाई गई मस्जिद'
"साकेत में मंदिर ढहाए जाने के विरोध में धरना"

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"वोट बेंक की राजनीति" यानि "विभाजन की राजनीति", यानि "नफरत फैलाने की राजनीति", यही सब है आज के प्रजातंत्र की राजनीति. यह ब्लॉग एक प्रयास है आप सबका ध्यान इस और दिलाने का. कौन कैसे बनाता है यह वोट बेंक?, देश और समाज का क्या नुक्सान हो रहा इन वोट बेंकों से?, आइये इस पर चर्चा करें.

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